POEMS
भारत में कोरोना आया
तीन छात्र वुहान से भारत आए,
साथ में अपने कोरोना लाए|
सब ने पहले इसको अफ़वाह माना,
बाद में इसके संक्रमण को जाना।
कोरोना आया विश्व भर में बनकर महामारी,
इसके आगे बड़ी बड़ी शक्तियां हारी |
तब भारत ने सख्त कदम उठाया,
सोशल डिस्टेंसिंग का अलक जगाया|
मोदी जी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया,
और जनता ने तालियां बजाकर पुलिस-डॉकटरों का आभार जताया।
फिर हुआ लोकडाउन और मंदिर-मस्जिद-चर्च बंद हो गए सारें,
भर गए अस्पताल और बन गए ईश्वर रूप डॉक्टर हमारें।
दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है कोरोना मरीजों का पारा,
भूख से परेशान हो रहा है गरीब बिचारा।
यदि हम इस महामारी को रोकने में होंगें असमर्थ,
तो हो जाएगी भारत की अर्थव्यवस्था अस्त-विरस्त |
अतः हम सबको कर्तव्य निभाना होगा,
घर से कदम न बहार लाना होगा |
डॉक्टर-सरकार का दे साथ,
बार बार धोए साबुन से हाथ |
हम जब एक दूसरे से दो-दो गज दूर जाएंगे,
तभी विकराल कोरोना वायरस को हरा पाएंगे।
- मोहित भंडारी
आ गया नया साल
आ गया नया साल, बधाई हो, हो जाए आपका जीवन खुशहाल ।
आए सारी खुशियां, होए आपके सारे कार्य आपके अनुसार ।
पुरे हो सभी के अरमान , मिल जाए इस कोराना से भी निजात ।
कोई न रहे भुखा, बने सभी आत्मनिर्भरता की मिसाल ।
चारों तरफ हो शांति, हो सभी अपनो के साथ ।
न केवल यह नया साल, हो आपका पुरा जीवन ही खुशहाल ।
- मोहित भंडारी
शादी की मेरिट लिस्ट
कोरोना का देख रूप प्रचंड,
सरकार ने लिया एक शक्त कदम ।
शादी में अधिक मेहमान होने पर लगा दिया दंड ,
अब सब कहे क्या की हम ,क्या करे हम ।
सोशल डिस्टेंसिंग को बढ़ाने के लिए,
लिया था यह जरूरी कदम ।
पर कौन जाने निकल गया है,
शादी के मेहमानो की लिस्ट बनाने वाले का दम ।
घर वाले सूझ बूझ कर सोच रहे ,
किस किसको बुलाए इस शुभ अवसर पर ।
कही कोई छूट न जाए महत्वपूर्ण अत्यंत,
इसीलिए देख रहे लिस्ट को लगाकर बहुत प्रयत्न ।
सबको आपने खास खास बुलाकर ,
शादी की चकाचौंध को दिखाना है ।
सबके साथ फोटो खींच खींच कर ,
सोशल मीडिया भी तो सजना है ।
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आखिर आ गया वह दिन
जिसका सबको इंतजार था ।
गोपनीयता पर पड़ना ,
सच्चाई का प्रकाश था ।
छप गए शादी के कार्ड ,
और बट गए घर घर ।
सब को पता चल गया,
किस किसका हुआ मेरिट लिस्ट मैं चयन ।
घर वालो बस एक डर था,
क्या कहेंगे वो लोग जो छूट गए?
कोरोना के नाम पर,
कैसे हमारे गहरे रिश्ते नाते टूट गए?
आज विवाह की मंगल सांझ थी,
सभी के चेहरों पर मास्क की बौछार थी ।
सावन की काली काया मैं,
सप्तवाचनो की रास थी।
-मोहित भंडारी
Nature
When the beauty of nature will end,
She will come for her stand.
The havoc will be everywhere,
Peace will not be anywhere.
The human race will cry ,
Will say why they hadn't tried.
The nature will play with all,
In the same way we had wrought.
Even the almighty can't stop her then,
And the humans will come to their dready end.
To relax her mind,
We have to bind.
That our exploitation is pungent,
And the peace is urgent.
Ruining the greenery
Will result in poor scenery
to be continued
- Mohit Bhandari